हिन्दुस्तान तो तंग गलियों में रहता है
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एक बडी संगोष्टी में
कविता पाठ हो रहा था। कहानी भी कही गयी। सभी की रचनाओं पर गडगडाहट की आवाज आई। और
मैं रह गया। कोई हलचल नहीं हुई सिवाय कुछ खुसर-फुसर के। मैं ताकता रह गया.........
लेकिन ये क्या सभी ताक रहे थे मुझे। क्योंकि मैं सब से कम ग्लैमरस जो था। तभी
एक बडे-2 चश्में वाले बोले...’’अबे..;ओए छोकरे........कहॉं रहता है ? चले आते हो न जाने कहां-2 से ये भी नहीं पता वर्तमान मेंक्या
चल रहा है...;क्या ऐसी कहानी होती है आरि-2। हम ठहरे साहित्य के घमण्ड में हमने
प्रेमचंद जी, और नयों में चरन सिंह पथिक जी पढ रखे थे उन्होने गांव की कहानी लिखी
थी सो हम भी बोल उठे जोश में ’’जी...;जी...;सरजी मैं तो हिन्दुस्तान की कहानी लिखता हू’और वहीं रहता हूं।’ हमारे दस टके जबाब से तो फिर
सन्नाटा हो गया। .... मुझे लगने लगा कि लोगों की निगाहें मुझे खा जायेंगी.... मैं
सिकुडने लगा।..... है न पागल हम भी तो इंडिया में रहते हैं .... वो जनाब फिर बोले।
हमारे पास जबाब तो था नहीं सो वैसे ही बोल पडे.... सरजी..... इंडिया और हिन्दुस्तान
तो बहुत दूर हैं ...... बात भी पूरी नहीं हुई कि फिर वही क्या-2 गूंजने लगी। तब जाके याद आया कि इसका पोस्टर भी तो
अंग्रेजी में था तभी ये हो हल्ला हो रहा था माजरा समझते ही गलजी का अहसास हुआ कि
हिन्दी की संगोष्टी उसे बोलना मना होगा तभी तो ऐसी आवाज आ रही थी जैसे सभ्य
लोगों के बीच कोई बडी असभ्यता कर दी हो।
और तभी अचानक एक बुजुर्ग जो मंच से दूर बैठा था खडा होकर मुझे बहार लेजाते
हुए बोला ‘’बेटा
में भी हिन्दुस्तान में ही रहता हूं देखो बैठने को सीठ भी नहीं मिली। और इंडिया
के आगे हिन्दुस्तान की क्या विसात इंडिया में तो बडे-2 मॉल और माल हैं, टू पीस
बिकनी है, मै तो जानता भी नहीं।’’ मैं भी बहार निकलते हुए
बोला ..; जी ..; हिन्दुस्तान में ये सब कहां वहां तो बस मां – बाप खेत खलिहान गीत नंगे आधे
कपडों में बालक हैं ... और वैसे भी आप लोग बुरा मत मानना हिन्दुस्तान तो अपनी
शर्म बचाने के लिए आजकल तंग गलियों में रहता है। और फिर हम चले आये अपने हिन्दुस्तान
इंडिया से भागकर ।
हिन्दुस्तान में ये सब कहां वहां तो बस मां – बाप खेत खलिहान गीत नंगे आधे कपडों में बालक हैं ... और वैसे भी आप लोग बुरा मत मानना हिन्दुस्तान तो अपनी शर्म बचाने के लिए आजकल तंग गलियों में रहता है। और फिर हम चले आये अपने हिन्दुस्तान इंडिया से भागकर ।
जवाब देंहटाएं...सच कहा आपने पहले जैसे बात कहाँ ..
बहुत बढ़िया प्रस्तुति
ji kavita ji aap or hamari soch shyad ksis ko sochne par majboor kar de
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