स्‍वागत है आपका

आप आये लगा बहार आई है ऐसे ही आते रहना श्रीमान हमें खुशी होगी


शनिवार, 23 मार्च 2013

शुरूआत: पास की दूरी :बिछुडना

शुरूआत: पास की दूरी :बिछुडना: वक्‍त बदल रहा है, और फिर से मैं भाग रहा हूं, कहीं दूर- अपनों से अपनों के लिये,  कहीं बिछुड न जाउं , क्‍योंकि मैं डरता हूं उस पास की...

मनमोहन कसाना - संपादक गुर्जर प्रवक्‍ता

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