लघु अखबारों का काफी चलन हो गया है हिन्दी में, कई भाई तो सिर्फ बस नाम के लिए निकालते हैं तो कई भाई इसे धन्धा समझके निकालते हैं कुछ जो मुददे वो शुरू में उठाते हैं उनको आगे तक कायम नहीं रखते हैं बस छोटे मोटे विज्ञापन लेकर ढकमलते रहते हैं तो काफी सारे बंद हो जाते हैं
अबकी मेरे हाथ में भी कई महिने पहले पढा साप्ताहिक अखबार ''राजस्थान की राजनिति '' लगा उलट पलट कर देखा तो वही धार मिली और फिर मेरी भी इच्छा हो गई कि क्यों न कोशशि की जाये फिर से खबरची बनने की आप पढो लिंक है - राजस्थान की राजनिति पेज साभार www.rajasthankirajneeti.com
अबकी मेरे हाथ में भी कई महिने पहले पढा साप्ताहिक अखबार ''राजस्थान की राजनिति '' लगा उलट पलट कर देखा तो वही धार मिली और फिर मेरी भी इच्छा हो गई कि क्यों न कोशशि की जाये फिर से खबरची बनने की आप पढो लिंक है - राजस्थान की राजनिति पेज साभार www.rajasthankirajneeti.com
bandikui se nikalne wale saptahik news paper ke bare me halki fulki likhawat waise ye mera personal anubhav h
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