एक ऐसी पत्रिका है जो सुंदर तो है ही साहित्य और समाज के साथ - साथ गाँव पर भी ध्यान दे रही है !
इसका उदाहरन है ताज़ा अंक जिसमे गाँव की इस कदर खोज की गई है की कहानी और कविता तो है ही
कुरज़ा की उडान*चरन सिंह पथिक * के रूप में फेमस कहानीकार रांघेय राघव की कहानी गदल के गाँव तक
भारी गर्मी में भी पहुँच गया और वंहा पर मेरे साथ यानि *मनमोहन कसाना * के साथ दर दर भटका और आखिर में गदल का पूरा कुनवा ही ढूंड लीया !
इससे साबित होती है संपादक की मेहनत !और लेखक होने का धरम ! इस खोज का शीर्षक है - गदल का गाँव - लेखक -चरन सिंह पथिक !
युवा कवी जो गाँव की जान लिखते है वो है कविता में -* प्रभात * और उनकी कविता हें - बंजारा नमक लाया !
और श्रीधांजलि में - अदम गोंडवी - लिखा है - गाँव का यह हिमायती चला गया ! उपर से उनका शेर -
तुम्हारी फाइल में गाँव का मौसम गुलाबी है
मगर ये आंकड़े है , ये दावा किताबी है
तुम्हारी मेज़ चांदी की , तुम्हारे जाम सोने के
यंहा के जुम्मन के घर में आज भी फूटी रकाबी है !
शानदार और जानदार! सम्पादकीय - गाँव रूमाल क्यों हिलाता है - ईश मधु तलवार
उस में से सिर्फ ये शब्द ही काफी हें - एक बड़ा तबका आज भी अंधेरे और घुटन में साँस लेने को मजबूर है ।
गाँव में आज भी उदयप्रकाश के मोहनदास जिन्दगी से संघर्ष करते हुए मिल जाएगे । मुन्सी प्रेमचंद का गोबर और धनिया भी गाँव में दिख जाएगे! और शायदा ने गाँव की मिटटी में डूब कर मंटो को उनके गाँव से याद किया है ।वैसे ही जैसे चरण सिंह पथिक ने कहानीकार रांघेय राघव की कहानी गदल के गाँव वैर पर जो रिपोर्ट लिखी है । यह इस अंक की खास उपलब्धी है । अन्य रचनाओ में कृष्ण कल्पित का गीत - जब भी कोई शहर को जाता है , गाँव रूमाल क्यों हिलाता है में गाँव का पूरा दर्द नदी क तरह बहता है ।
राजाराम भादू , डॉ सत्यनारायण , पृ थ्वी , रामकुमार सिंह , हरिराम मीना जैसे आत्मीय रचनाकारों ने अंक को सुंदर ही अति सुंदर बना दिया है ।
अंक के अन्य लेखक है - विपिन चौधरी , ईश मधु तलवार ,नन्द चतुर्वेदी , तरसेम ,दिनेश चारण ,बलराम ,लियाकत अली भट्टी , राजपाल सिंह शेखावत ,उमेश अपराधी ,राकेश मिश्रा ,हसन जमाल ,हेतु भारदवाज ,अनुज खरे ,राकेश सिंह ,सुरेश सैन निशांत ,मनोज प्रभाकर ,ओम नागर ,जय प्रकाश चौकसे , adonish ,अब्बाश कियारोस्तामी ,निजीम हिकमत ,श्रीनिवास श्रीकांत ।
अंक उम्दा और व संग्रहणीय है । संपादक और लेखको को बधाई ।
संपादक - प्रेमचंद गाँधी , ईश मधु तलवार ,ओमेन्द्र ,फारुक आफरीदी ।
संपर्क - ई -10, गाँधी नगर ,जयपुर-302015
मोबाइल - 09413327070
kurjaan .sandesh @gmail .com
ishmadhu 14@gmail .com
मूल्य - 100.
- मनमोहन कसाना {अब तक कई किताबो में कहानी ,कविता , अनुवाद , प्रकाशित । अपनी माती वेब पत्रिका के अनुसार युवा है , जोशीले है ।}
इसका उदाहरन है ताज़ा अंक जिसमे गाँव की इस कदर खोज की गई है की कहानी और कविता तो है ही
कुरज़ा की उडान*चरन सिंह पथिक * के रूप में फेमस कहानीकार रांघेय राघव की कहानी गदल के गाँव तक
भारी गर्मी में भी पहुँच गया और वंहा पर मेरे साथ यानि *मनमोहन कसाना * के साथ दर दर भटका और आखिर में गदल का पूरा कुनवा ही ढूंड लीया !
इससे साबित होती है संपादक की मेहनत !और लेखक होने का धरम ! इस खोज का शीर्षक है - गदल का गाँव - लेखक -चरन सिंह पथिक !
युवा कवी जो गाँव की जान लिखते है वो है कविता में -* प्रभात * और उनकी कविता हें - बंजारा नमक लाया !
और श्रीधांजलि में - अदम गोंडवी - लिखा है - गाँव का यह हिमायती चला गया ! उपर से उनका शेर -
तुम्हारी फाइल में गाँव का मौसम गुलाबी है
मगर ये आंकड़े है , ये दावा किताबी है
तुम्हारी मेज़ चांदी की , तुम्हारे जाम सोने के
यंहा के जुम्मन के घर में आज भी फूटी रकाबी है !
शानदार और जानदार! सम्पादकीय - गाँव रूमाल क्यों हिलाता है - ईश मधु तलवार
उस में से सिर्फ ये शब्द ही काफी हें - एक बड़ा तबका आज भी अंधेरे और घुटन में साँस लेने को मजबूर है ।
गाँव में आज भी उदयप्रकाश के मोहनदास जिन्दगी से संघर्ष करते हुए मिल जाएगे । मुन्सी प्रेमचंद का गोबर और धनिया भी गाँव में दिख जाएगे! और शायदा ने गाँव की मिटटी में डूब कर मंटो को उनके गाँव से याद किया है ।वैसे ही जैसे चरण सिंह पथिक ने कहानीकार रांघेय राघव की कहानी गदल के गाँव वैर पर जो रिपोर्ट लिखी है । यह इस अंक की खास उपलब्धी है । अन्य रचनाओ में कृष्ण कल्पित का गीत - जब भी कोई शहर को जाता है , गाँव रूमाल क्यों हिलाता है में गाँव का पूरा दर्द नदी क तरह बहता है ।
राजाराम भादू , डॉ सत्यनारायण , पृ थ्वी , रामकुमार सिंह , हरिराम मीना जैसे आत्मीय रचनाकारों ने अंक को सुंदर ही अति सुंदर बना दिया है ।
अंक के अन्य लेखक है - विपिन चौधरी , ईश मधु तलवार ,नन्द चतुर्वेदी , तरसेम ,दिनेश चारण ,बलराम ,लियाकत अली भट्टी , राजपाल सिंह शेखावत ,उमेश अपराधी ,राकेश मिश्रा ,हसन जमाल ,हेतु भारदवाज ,अनुज खरे ,राकेश सिंह ,सुरेश सैन निशांत ,मनोज प्रभाकर ,ओम नागर ,जय प्रकाश चौकसे , adonish ,अब्बाश कियारोस्तामी ,निजीम हिकमत ,श्रीनिवास श्रीकांत ।
अंक उम्दा और व संग्रहणीय है । संपादक और लेखको को बधाई ।
संपादक - प्रेमचंद गाँधी , ईश मधु तलवार ,ओमेन्द्र ,फारुक आफरीदी ।
संपर्क - ई -10, गाँधी नगर ,जयपुर-302015
मोबाइल - 09413327070
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मूल्य - 100.
- मनमोहन कसाना {अब तक कई किताबो में कहानी ,कविता , अनुवाद , प्रकाशित । अपनी माती वेब पत्रिका के अनुसार युवा है , जोशीले है ।}
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