स्‍वागत है आपका

आप आये लगा बहार आई है ऐसे ही आते रहना श्रीमान हमें खुशी होगी


बुधवार, 26 दिसंबर 2012

तो फिर...........


तो फिर...........
फोटो - धीरेंन्‍द्र गुर्जर 
 मेरी आंखों में आंसू,
फिर भी लवों पे मुस्‍कान क्‍यूं है,
 जिन्‍दगी जीते हैं हम,
फिर भी हर कोई परेशान क्‍यों है,
 गुलशन है अगर सफर जिन्‍दगी का
तो फिर .............
इसकी मंजिल शमशान क्‍यूं है,
अगर जुदाई है प्‍यार का मतलब,
 तो फिर..............
 प्‍यार करने वाला हैरान क्‍यूं है
 अच्‍छा कर्म करना ही जिन्‍दगी है
 तो फिर........................
 बुराई का रास्‍ता इतना आसान क्‍यूं है,
 गर जिन्‍दगी है मरने के लिऐ
तो फिर ..............
जिन्‍दगी एक बरदान क्‍यूं है
 जो कभी ना मिले उससे ही लग जाता है दिल,
 तो फिर ................
दिल इतना नादान क्‍यूं है ा

             मनमोहन कसाना

शुक्रवार, 14 दिसंबर 2012

शुरूआत: बदलाव

शुरूआत: बदलाव: लेखक पेशे से प्रेस रिपोर्टर है             बदल गई तस्‍वीर देखो-  बदल गई कानों की बाली,  देखो कर रहे हैं घर-2 कुत्‍तो की कुत्‍ते र...

शुक्रवार, 7 दिसंबर 2012

'अभिनव राजस्थान अभियान'


Ashok Choudhary
नागौर जिले के मूंडवा क्षेत्र में अम्बुजा सीमेंट ने कमाल का खेल किया है. आज मैं कुछ कागजों का अध्ययन कर रहा था तो इस कंपनी की कई करतूतों का पता चला. साथ ही इस केस की स्टडी से प्रदेश की आई ए एस लॉबी, मीडिया, नेताओं और इन कंपनियों का नापाक गठजोड़ भी समझ आया है. किसानों से उनकी जमीन उद्योग लगाने, क्षेत्र में रोजगार बढ़ाने आदि बहानों से लेकर रातों रात करोड़ों पर हाथ फेर देने की यह एक रोचक कहानी है. लंबी कहानी है और इस पर बड़ा खुलासा जल्द ही होने वाला है, पर अनियमितताओं की कुछ बानगियाँ देख लीजिए.
१. १९८८ में जब कंपनी को १००१ बीघा जमीन दी गई थी तो पहली शर्त यह थी कि अगर दो साल में उत्पादन शुरू नहीं हुआ तो जमीन वापस ले ली जायेगी. लेकिन आज तक एक कट्टा सीमेंट का उत्पादन नहीं हुआ है. जबकि इस १००१ बीघा के अलावा किसानों से लोभ दे देकर और भी निजी जमीन खरीदने का काम चालू है. एक लैंड बैंक बनाई जा रही है, ताकि सीमेंट से भी ज्यादा पैसा जमीन के धंधे में कमाया जा सके. और कुछ सौदे कर भी लिए गए हैं. स्वीट्जरलैंड और फ्रांस के सौदागरों को पटा भी लिया गया है.
२. इस १००१ बीघा
 जमीन में गोचर भूमि भी शामिल है, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है. एक नागौर कलेक्टर ने स्वयं अपने पत्र में यह बात स्वीकार भी की है. बाद में यही कलक्टर कंपनी को मदद करने में इसका एजेंट बनकर काम करने लगता है. गोचर भूमि में भी पटवारी को म्यूटेशन भरने के लिए दबाव से राजी करता है. आज कंपनी अखबारों में विज्ञापन देकर झूठ बोल रही है कि इसके पास कोई गोचर भूमि नहीं है ! 
३. लीज की मूल शर्तों को सरकार ने इतनी जल्दी बदला है, जैसे यहां पर कोई सरकारी कंपनी सीमेंट बनाने वाली हो. कंपनी का नाम बदलने में भी इतनी ही तेजी ! हम अपना नाम परिवर्तन कराने अगर कचहरी जायें तो कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं. लेकिन कंपनी की वकालत परदे के पीछे कई अफसरों व नेताओं ने की है.
४. मूल लीज में यह कहा गया था कि कंपनी किसानों और उनके परिवार के कल्याण के लिए कई काम करेगी, लेकिन कल्याण के लिए रकम देने में भी कंपनी ने गजब की कंजूसी दिखाई है. लेकिन यही क्यों, खारिया या गोटन में भी तो सीमेंट कंपनियों ने गांव वालों का क्या कल्याण किया है. केवल कुछ स्थानीय एजेंटों और मीडिया को खुश करके वहां भी सारी शर्तों की बातें दबा दी गई हैं.
१७ तारीख से खेण गांव के लोग अपनी गोचर को मुक्त करवाने के लिए आमरण अनशन शुरू करेंगे. इन गांव वालों ने इस बार काली दीवाली भी मनाई थी. गांव में कोई दीया नहीं जला, कोई पटाखा नहीं छोड़ा गया. 'अभिनव राजस्थान अभियान' के लोग मूंडवा, ईनाणा और खेंण गांव के लोगों की लड़ाई में उनके साथ रहेगा. कंपनी के काले-पीले कागजों को हम सोशल और माउथ मीडिया में जारी करेंगे, क्योंकि सामान्य मीडिया अपनी मजबूरियों में दबा है. सभी मित्र साथ दें.
                                                                                                     Ashok Choudhary
                                                                 Founder of abhinav rajasthan org

∷मगहर: प्रवेशांक

∷मगहर: प्रवेशांक: प्रतिरोध , परिवर्तन और प्रगति का त्रैमासिक ' मगहर ' का प्रवेशांक बाज़ार में साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में व्याप्त व्यक्...


मनमोहन कसाना - संपादक गुर्जर प्रवक्‍ता

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