स्‍वागत है आपका

आप आये लगा बहार आई है ऐसे ही आते रहना श्रीमान हमें खुशी होगी


गुरुवार, 13 सितंबर 2012

जून 2009 के हिमप्रस्‍थ के अंक में छपी मेरी कविता

फोटो पतासी काकी से साभार


 **   टाईम पास कर गया वो ।  **

आज ही तो आया था वो ,
आज ही चला गया
रोते क्‍यों हो
क्‍या  कुछ ले  गया  वो
नहीं न लेने की बात  तो छोडो
वह तो मुझे गम की दुनिया में
ढकेल गया।
ऐसा नहीं है कुछ  भी
अरे जाने भी दो  रोते क्‍यों हो
ये तो सब कुछ उस अदभुत मदारी
का काम है
कुछ पल में ही खुशी की दंनिया को
मटियामेट कर गया वो।
अरे जाने भी दो ...............
लेने के बदले में
गम देकर
टाईम पास कर गया वो
फिर से दूसरी माया नगरी के
के माया जाल में फंसा गया वो
अरे छोडो न ................ अब
ज्‍यादा नहीं तो कुछ पल के लिए ही सही
टाईम पास कर गया वो ।।

                                  *मनमोहन कसाना*

3 टिप्‍पणियां:

  1. आज से तीन साल पहले छपी यह कविता मेरे किसी खास के लिए थी जिसे मै कभी भूल नहीं सकता।

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मनमोहन कसाना - संपादक गुर्जर प्रवक्‍ता

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