जरा सोचले ,
तेरे भी दो हाथ है
2. हो गई हें धन्य
ये गलियाँ
एक चाँद जो यंहा
पैदल चला था
3. पूछते हें जनाब खामोश क्यों हो
मालूम नहीं शायद
ये जालिम इश्क का कहर तो
खुद ने ढाया है
4. नशा इतना था हम पर
उस वेवफा का
मर गया कसाना
खुली रह गई आंखें और
नशा छलकता रह गया *सभी शेर मनमोहन कसाना के*
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