Ashok
Choudhary
नागौर जिले के मूंडवा क्षेत्र में अम्बुजा सीमेंट ने कमाल का
खेल किया है. आज मैं कुछ कागजों का अध्ययन कर रहा था तो इस कंपनी की कई करतूतों का
पता चला. साथ ही इस केस की स्टडी से प्रदेश की आई ए एस लॉबी, मीडिया, नेताओं और इन
कंपनियों का नापाक गठजोड़ भी समझ आया है. किसानों से उनकी जमीन उद्योग लगाने, क्षेत्र में
रोजगार बढ़ाने आदि बहानों से लेकर रातों रात करोड़ों पर हाथ फेर देने की यह एक रोचक
कहानी है. लंबी कहानी है और इस पर बड़ा खुलासा जल्द ही होने वाला है, पर अनियमितताओं
की कुछ बानगियाँ देख लीजिए.
१. १९८८ में
जब कंपनी को १००१ बीघा जमीन दी गई थी तो पहली शर्त यह थी कि अगर दो साल में
उत्पादन शुरू नहीं हुआ तो जमीन वापस ले ली जायेगी. लेकिन आज तक एक कट्टा सीमेंट का
उत्पादन नहीं हुआ है. जबकि इस १००१ बीघा के अलावा किसानों से लोभ दे देकर और भी
निजी जमीन खरीदने का काम चालू है. एक लैंड बैंक बनाई जा रही है, ताकि सीमेंट से
भी ज्यादा पैसा जमीन के धंधे में कमाया जा सके. और कुछ सौदे कर भी लिए गए हैं. स्वीट्जरलैंड
और फ्रांस के सौदागरों को पटा भी लिया गया है.
२. इस १००१
बीघा
जमीन में गोचर
भूमि भी शामिल है, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है. एक
नागौर कलेक्टर ने स्वयं अपने पत्र में यह बात स्वीकार भी की है. बाद में यही
कलक्टर कंपनी को मदद करने में इसका एजेंट बनकर काम करने लगता है. गोचर भूमि में भी
पटवारी को म्यूटेशन भरने के लिए दबाव से राजी करता है. आज कंपनी अखबारों में
विज्ञापन देकर झूठ बोल रही है कि इसके पास कोई गोचर भूमि नहीं है !
३. लीज की
मूल शर्तों को सरकार ने इतनी जल्दी बदला है, जैसे यहां पर कोई
सरकारी कंपनी सीमेंट बनाने वाली हो. कंपनी का नाम बदलने में भी इतनी ही तेजी ! हम
अपना नाम परिवर्तन कराने अगर कचहरी जायें तो कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं. लेकिन
कंपनी की वकालत परदे के पीछे कई अफसरों व नेताओं ने की है.
४. मूल
लीज में यह कहा गया था कि कंपनी किसानों और उनके परिवार के कल्याण के लिए कई काम
करेगी, लेकिन कल्याण के लिए रकम देने में भी कंपनी ने गजब की कंजूसी
दिखाई है. लेकिन यही क्यों, खारिया या गोटन में भी तो सीमेंट कंपनियों ने
गांव वालों का क्या कल्याण किया है. केवल कुछ स्थानीय एजेंटों और मीडिया को खुश
करके वहां भी सारी शर्तों की बातें दबा दी गई हैं.
१७ तारीख
से खेण गांव के लोग अपनी गोचर को मुक्त करवाने के लिए आमरण अनशन शुरू करेंगे. इन गांव
वालों ने इस बार काली दीवाली भी मनाई थी. गांव में कोई दीया नहीं जला, कोई पटाखा नहीं
छोड़ा गया. 'अभिनव राजस्थान अभियान' के लोग मूंडवा, ईनाणा और खेंण
गांव के लोगों की लड़ाई में उनके साथ रहेगा. कंपनी के काले-पीले कागजों को हम सोशल
और माउथ मीडिया में जारी करेंगे, क्योंकि सामान्य
मीडिया अपनी मजबूरियों में दबा है. सभी मित्र साथ दें.
Ashok Choudhary
Founder of abhinav rajasthan org
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