डॉ.रांघेय राघव: भूल रहे उन्हें उन्हीं के
गांव वाले
आज कस्वा वैर में जहां डॉ. सहाब
की यादों के जीते जागते निशान हैं सुप्रसिद्ध् साहित्यकार डॉ. रांगेय राघव को
उनकी पुण्यतिथी पर श्रद्वासुमन कस्बे के गणमान्य लोगों ने अर्पित की और
सामुदायिक स्वाथ्य केंन्द्र पर फल बांटकर औपचारिकता को पुरा किया। यह मौका था 12 सितम्बर को उनकी पुण्यतिथी के
अवसर पर कस्बे के रा.उ.मा.विधालय में उनकी प्रतिमा पर माला पहनाई गई और चंद वो ही
कथन जो डॉ. सहाब के उपर हर जगह लिखे मिलते हैं उन्हीं को दोहराया गया जैसे उन्होने
कम उम्र में ही 150 ग्रन्थों का लेखन कीया आदि आदि। वैसे वैर कस्वे को जिस महान
लेखक ने पहचान दिलाई वहीं पर अब वह महान हस्थी जिन जगहों पर लेखन करती थी वो स्मारक
की बजाय अरामगाह बन गई हैं। प्रेम चंद की भांती ही डॉ. सहाब भी जनमानस के कथाकार
थे। ‘गदल’ और ’पंच
परमेश्वर’ कहानियां कालजयी रचना हैं जिनमें जनमानस की अमिट
छाप दिखती है। जिस रचनाकार की रचना के उपर बने धरावाहिक को लोग दूसरों के घरों में
जाकर देखते थे आज उन्ही की पुण्यतिथी पर केवल चंद लोग आये। उसका मुख्य कारण तो
वह तथाकतिक समिति है जो न तो उनकी याद में चलाये गये पुस्तकालय को चला रही है और
न ही वह किसी को बुलाती है बस चंद दोस्त हैं जो फोटो खिंचा जाते हैं और अगले दिन
वाही वाही लूट लेते हैं उन्हें क्या मतलब किसी से। और
उपर से बडे बडे कथाकार वो तो बस ...............;
पूझो ही मत ।
*हाल बुरा है
दोस्त अपने ही घरमें
कमरे में खांसता रहा कोई जालिम ने
पानी तक न पिलाया।*
सीधे वैर से............
मनमोहन कसाना
09672281281
ekkona.blogspot.com
इसके लिए जरुरत है एक सजग आंदोलन की ,जिसमें साहित्यकर्मी जुडे ना कि फोटो खिंचाने वाले तथाकथित साहित्यप्रेमी,,,
जवाब देंहटाएंकब तक पुकारूं जैसी अमर कृति के सृजनकर्ता की यह उपेक्षा साहित्य जगत पर कालिख पोतने जैसा है , कसाना जी इसकी मुहिम छेडिये , मै चरण सिंह पथिक से भी इस सम्बन्ध मे बात करुंगा ।
.... विजय सिंह मीणा, कवि एवम कथाकार,
निदेशक , विधि एवं न्याय मंत्रालय , नई दिल्ली।
मोबाईल 09968814674